विक्रांत श्रीवास्तवा "ग़ैर"
Monday, October 25, 2010
जुनू
मान लेना की जुनू में वो मोहब्बत थी
मगर होती है एक बार चाहे जुनू में थी
1 comment:
S.N SHUKLA
November 9, 2011 at 10:48 PM
बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति , बधाई.
.
कृपया मेरे ब्लॉग पर भी पधारने का कष्ट करें, आभारी होऊंगा .
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बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति , बधाई.
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कृपया मेरे ब्लॉग पर भी पधारने का कष्ट करें, आभारी होऊंगा .