Monday, October 25, 2010

मुलाक़ात

उस हलके असर का अब ये असर है
जो कभी इंसान था अब वो शायर है

मुलाक़ात ही ज़रूरी नहीं इस ज़िन्दगी के राह पर
ख़त तो वो ज़रिया है की रास्ता याद रहे 

No comments:

Post a Comment