Tuesday, January 8, 2013

दर्द अपना था खुद ही रुखसत हो चला
ग़म भी अपना था अश्क बन कर बह चला
दिल की नादानियां कुछ ऐसी थी
वो महबूब मेरा था किसी और के साथ चल बैठा

No comments:

Post a Comment