किसी से कब कहाँ किसी को किसी से प्यार हो जाए तुम्हारी याद करते करते कहीं ये दिल हार ना जाए कभी सोचो हमें तुम भी तो शायद प्यार हो जाए तुम्हारे खुद मना करने से भी इकरार हो जाए अभी तो हर taraf हमको नज़र आते हैं तेरे साए कभी कुछ करो ऐसा की कल्पना साकार हो जाए बहुत तनहाइयाँ हैं हर तरफ कहीं हम खो ना जाएँ कभी तुम भी बढाओ हाँथ के सहारा हमको मिल जाए हमेशा सोचते तुम हो की चला जायेगा दूर ये 'ग़ैर' कभी हमसे भी तुम पूछो तुम्हारे दिल में रहते हैं |
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