Monday, October 25, 2010

तन्हाइयां

तन्हाइयां क्या करेगी तनहा उसे
जो खुद आबादियों में भी तनहा रहे

बढेंगे दोस्त दोस्ती किये बगैर
बढेगी दोस्ती मुबारक दिए बगैर

आयेंगे पास कैसे जो सोचेंगे दूरी की
फासला कम नहीं होता जो रोज बढता हो 

3 comments:

  1. भावनाओ का सरल प्रवाह.
    यदि मीडिया और ब्लॉग जगत में अन्ना हजारे के समाचारों की एकरसता से ऊब गए हों तो कृपया मन को झकझोरने वाले मौलिक, विचारोत्तेजक आलेख हेतु पढ़ें
    अन्ना हजारे के बहाने ...... आत्म मंथन http://sachin-why-bharat-ratna.blogspot.com/2011/08/blog-post_24.html

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  2. बहुत सुंदर , आभार.

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