विक्रांत श्रीवास्तवा "ग़ैर"
Thursday, May 16, 2013
भुलाने के बहाने
भुलाने के बहाने तुझे दिल याद करता है
तेरे लिए तभ भी तड़पता था और अब भी तड़पता है
Wednesday, April 24, 2013
Kya kahein kisase kahein khayaalon mein gujar jayegi…
Zindagi aadhi gayee yun hi baki gujar jayegi…
Tuesday, January 8, 2013
दर्द अपना था खुद ही रुखसत हो चला
ग़म भी अपना था अश्क बन कर बह चला
दिल की नादानियां कुछ ऐसी थी
वो महबूब मेरा था किसी और के साथ चल बैठा
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